Monday 4 January 2016

"आओ मैं तुम्हे स्वस्थ करता हूँ"

यकीन करिए  इंसान सचमें उतना परेशान नहीं जितना उसे लगता हैं, परेशानी का बड़ा या छोटा होना आपकी सोच पर निर्भर करता है। जीवन चक्र है मुश्किलें तो आयेंगी ही वर्ना हमारा जीवन नीरस भी हो जायेगा क्योंकि मुश्किलें ही हमारा हमसे पूरा परिचय करवाती हैं। हम कितने हौंसले से मुश्किलों का सामना करते हैं वही तय करता है कि मुश्किल हमपर कितनी भारी या हल्की पड़ने वाली है। परेशानी आने पर मानसिक तनाव लेकर बिस्तर में लेटे रहने से वो हल नहीं होने वाली बल्कि और बढ़ जायेगी। मुश्किलें दो ही प्रकार की होती हैं एक जिनका कोई हल नहीं, दूसरे वो जिनका हल होता है भले ही थोड़ा कठिन रास्ता हो किन्तु हल होता है। जो मुश्किल हल करना हमारे बस का नहीं (जैसे कोई असाध्य रोग) उसे भगवान पर छोड़ देना चाहिए और अपना सर्वोत्तम देना चाहिए कि वो हल हो अथवा काम तकलीफ़ देय हो। जिन मुश्किलों का हल सम्भव है उनसे घबराना नहीं चाहिए बल्कि शीघ्र से शीघ्र उसे हल करने की तरफ़ क़दम उठाना चाहिए।

आज एक आम रोग की बात करते हैं जो भारत में बहुत पाया जाता है 'उच्च-रक्तचाप'। उच्च-रक्तचाप होने पर हम चिकित्सक के पास जाते हैं वो हमें टेबलेट देता है और कहता है कि इस रोग का निदान नहीं है आपको ये गोली जीवनपर्यन्त खानी पड़ेगी। बस अब शुरू होता है आपके डरने का क्रम। आप खाना खाना भूल जायेंगे लेकिन वो गोली खाना नहीं भूलेंगे। आयेदिन आपको लगने लगेगा की कभी भी दिल का दौरा पड़ जाएगा मृत्यु हो जायेगी। बस आप अन्जाने में ही सही लेकिन बीमारी को अपनी तरफ़ आक्रषित  करने लगते हैं।

आप रोज़ सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले आँखें बंद करके सोचें कि आप एकदम स्वस्थ हैं, आपको किसी दवा की जरुरत नही है। ऐसा ही आप सोने से पूर्व रात को भी करें। रात को 20 दाने मेथी के एक गिलास पानी में भीगोकर रखें सुबह ख़ाली पेट मेथी के दाने अच्छे से चबाकर खायें और गिलास का पानी पी लें। मेथी खाने के बाद 30 मिनट तक कुछ न खायें। तीन से चार महीने के अंदर आपका उच्च-रक्तचाप एकदम सामान्य हो जायेगा। आयुर्वेद में भी इसका व्याख्यान मिलता है और मैंने बहुत लोगों को उपरोक्त विधि से अपना रक्तचाप ठीक करते देखा है। यदि आपके आसपास भी कोई उच्च-रक्तचाप का रोगी है तो उसे यह महती बता दें।